याहुवे और याहुशुआ के पवित्र नाम
ध्यान दें की जोशुआ (Joshua) वास्तव में योशुआ या याहुशुआ लिखा जाता है क्योंकि इब्रानी (Hebrew) में “ज या J” नहीं होता। “ज या J” का अक्षर केवल 500 वर्ष पुराना है और आपको असली 1611 के किंग जेम्स संस्करण में भी “J” अक्षर नहीं मिलेगा।
याहुशुआ मसीहा अब्बा (पिता) याहुवे नहीं है। आधुनिक काल के ईसाई विश्वास करते हैं की याहुशुआ मसीहा अतीत काल में किसी न किसी रूप में मौजूद थे। कोई कहता है वे मलिकिसिदक (Melchizedek) थे; कोई कहता है वे “याहुवे के सेना के कप्तान” थे (यहोशु 5:14); कोई कहता है वे प्रधान स्वर्गदूत माइकल थे; और कुछ कहते हैं की वे “याहुवे के दूत” थे। पर इन सब में सबसे गंभीर भूल है यह समझना की याहुशुआ ही पुराने नियम के “याहुवे” परमेश्वर थे। हमने यह अध्ययन इस आशा से प्रकाशित की है की पड़ने वाले को पूर्णता से समझ में आए की याहुवे ही विधाता और सृष्टिकर्ता हैं, और याहुशुआ मसीहा उनके पुत्र हैं, जैसे की लिखा गया है।
याहुशुआ के पिता कौन हैं?
पवित्र वचन क्या कहता है पिता के स्वरूप के बारे में?
यशायाह 63:16 कहता है, “निश्चय आप हमारे पिता हैं, यदपि अब्राहम हमें नहीं पहिचानता, और इस्राइल हमें ग्रहण नहीं करता; तौभी, हे याहुवे, आप हमारे पिता और हमें छुड़ानेवाले हैं; अनंतकाल से यही आपका नाम है”। याहुवे ही पिता है। फिर भी कुछ लोग यह दावा करते हैं की यह वचन कहता है की याहुवे इस्राइल के पिता है, याहुशुआ के नहीं।
इस संदर्भ में हमें और दो पवित्र वचनों पर ध्यान देना चाहिए। पहला है इब्रानीयों 1:5: “क्योंकि स्वर्गदूतों में से उन्होंने कब किसी से कहा, “तू मेरा पुत्र है, आज तू मुझ से उत्पन्न हुआ”? और फिर यह, “मैं उसका पिता बनूँगा, और वह मेरा पुत्र होगा”? यह सब किसने कहा? यह तो हर कोइ स्वीकार करेगा की यह याहुशुआ मसीहा के पिता ने कहा क्योंकि वे याहुशुआ को बेटा कह रहे है।
इब्रानीयों 1:5 को सीधे भजन संहिता 2:7 से लिया गया है, जो कहता है, “मैं उस वचन की घोषणा करूंगा: जो याहुवे ने मुझ से कहा, तू मेरा पुत्र है, आज तू मुझ से उत्पन्न हुआ”। यहाँ पहला “मैं” याहुशुआ हैं और वे भविष्यवाणी द्वारा (दाऊद के माध्यम से) बोल रहे हैं की याहुवे उनके पिता हैं!
इससे पहले हमने देखा की याहुशुआ हामशीहाख़ ने कहा था, “मेरा पिता मुझसे बड़कर है” जिसका अर्थ यह भी था की “अब्बा याहुवे मुझसे बड़कर हैं”; इस तरह उन्होंने हमें बताया की वे याहुवे नहीं है। जो कोई भी यह समझता है की याहुशुआ हामशीहाख़ ही अब्बा याहुवे है, उनको यह भी मानना पड़ेगा की याहुशुआ ही स्वर्गीय पिता हैं। यह बात और भी बेतुका लगता है और पवित्र शस्त्र के प्रकाश में उसे प्रमाणित करना और भी कठिन है।
परम पिता के नाम
निर्गमन 23:13 हमें निर्देश देता है की हम किसी अन्य देवताओं के नाम न लें; मगर, आधुनिक अँग्रेजी बाइबल अनुवादकों के काम के कारण, ज़्यादातर लोग हमारे परमेश्वर का नाम ही कभी-कभी लिया करते हैं। किंग जेम्स संस्करण तीसरे धर्म उपदेश को कुछ इस तरह बताती है:
“तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो परमेश्वर का नाम व्यर्थ ले वे उसको निर्दोष न ठहराएंगे। (निर्गमन 20:7)
मगर याहुवे के पवित्र आत्मा से प्रेरित वचन कुछ और कहता है। वह प्रेरित तीसरा धर्म उपदेश कुछ ऐसा है:
“तू याहुवे का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो याहुवे का नाम व्यर्थ ले वे उसको निर्दोष न ठहराएंगे।
नाम को व्यर्थ बनाना
अंग्रेज़ी अनुवादकों ने अपने इच्छा से परमेश्वर के पवित्र नाम के बदले बिलकुल ही अलग नाम लिख दिया। कैसी उद्दंडता! परमेश्वर से प्रेरित वचनों को किसी अनुवादक को बदलने का अधिकार किसने दिया, भले ही कोई योग्य बहाना देकर यह किया गया हो। राजा सोलोमन ने कहा था:
“… उनका (परमेश्वर का) नाम क्या है, और उनके पुत्र का नाम क्या है, यदि तू जानता है तो बता? परमेश्वर का हर शब्द निर्मल है…. उनके वचनों में कुछ मत बड़ा, ऐसा न हो की वे तुझे डाटें और तू झूठा ठहरे”। (नीतिवाचन 30:4-6)
मगर अंग्रेज़ी अनुवादकों ने जानबूझ कर फिर भी वही गलती की। उन लोगों ने परमेश्वर के शब्दों से निकाला और बड़ाया; उन्होंने उनके व्यक्तिगत नाम, याहुवे को निकालकर बड़ें अक्षरों में LORD और GOD जोड़ा या जेहोवाह (Jehovah) का मिलावटी शब्द डाल दिया।
इन शब्दों का उलट-फेर करके, उन अंग्रेज़ी अनुवादकों ने असल में याहुवे के तीसरे धर्म उपदेश (Third Commandment) को तोड़ा है क्योंकि उन लोगों ने याहुवे के नाम को व्यर्थ ठहराया। व्यर्थ शब्द, जिसे अंग्रेज़ी में “vain” कहते है, तीसरे धर्म उपदेश के संदर्भ में उसे Hebrew शब्द “shav” (Strong’s #7723) से अनुवाद किया गया है। William Gesenius के अनुसार उसका मतलब है “खालीपन, शून्यता, व्यर्थता…नाकाबिल”। यह शब्द मूसा ने नौवां धर्म उपदेश में भी प्रयोग किया है और उसका अनुवाद “झूठ” लिखा गया है:
तू अपने पड़ोसी के विरुद्ध झूठी साक्षी ने देना। (व्यवस्थाविवरण 5:20)। दूसरे शब्दों में, हमें याहुवे के नाम को भ्रमित करने वाले उपाधियों और अप्रेरित नामों को प्रयोग कर उनके नाम को झूठे तरीके से नहीं लेना चाहिए ओर झूठा साक्षी नहीं बनना चाहिए।
यह कहा गया है की तीसरा धर्म उपदेश का याहुवे के असल नाम से कोई संबंध नहीं है, बल्कि उनके नाम के सत्ता और अधिकार से है। अधिकार का तीसरे धर्म उपदेश से सीधा संबंध है, परंतु परमेश्वर के व्यक्तिगत नाम को इस धर्म उपदेश से बाहर रखना असंभव है। उदाहरण के लिए, एक रोमन सिपाही का अधिकार सीज़र के नाम से होता था, लेकिन अगर वह खुद को नबूकदनेस्सर के नाम से प्रस्तुत करता, तो उसका अधिकार “व्यर्थ” हो जाता।
यहाँ इस बात पर ध्यान दें की कैसे याहुवे खुद अपने नाम पर ज़ोर देते हैं:
फिर याहुवे ने मूसा से यह भी कहा, तू इस्राइलियों से यह कहना, याहुवे तुम्हारे पितरों का परमेश्वर… ने मुझ को तुम्हारे पास भेजा है: देख सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीड़ी-पीड़ी में मेरा स्मरण इसी (नाम) से हुआ करेगा। (निर्गमन 3:15)
इसके फलस्वरूप, हमें यह निर्देश है की हम उनके नाम का स्मरणोत्सव मनाए और सदा स्मरण करें। फिर भी, ज़्यादातर आधुनिक अनुवादकों ने उसका उल्टा ही किया है और याहुवे के पवित्र नाम को उनके लोगों के स्मरण से लगभग मिटा दिया है।
खोखले तर्क
पहले यह स्वीकार करके की “यह लगभग निश्चित है की परमेश्वर का नाम प्राचीन में ‘याहुवे’ ही उच्चारण किया जाता था,” Revised Standard Version बाइबल के अनुवादक याहुवे के व्यक्तिगत नाम को शास्त्रों से हटाने का यह खोखला तर्क देते हैं:
दो कारणों से Revised Standard Version समिति वालों ने याहुवे के नाम को लोकप्रिय LORD (स्वामी) या GOD (परमेश्वर) नाम में बादल दिया जो किंग जेम्स संस्कारण से लिया गया था: (1) “जेहोवा” (Jehovah) शब्द सटीक तरीके से परमेश्वर के नाम का वर्णन नहीं कर पाता क्योंकि हिब्रू में यह नाम कभी प्रयोग नहीं हुआ है; और (2) एक मात्र परमेश्वर के व्यक्तिगत नाम का प्रयोग येहूदी धर्म में ईसाई धर्म के शुरुआत से पहले ही बंद कर दिया गया था और यह विश्वव्यापी आस्था के लिए गलत होगा की ईसाई कलिशिया इस नाम का प्रयोग करे।
इतना बड़ा दुस्साहस! किस इंसान या समूह को यह अधिकार है की वह याहुवे के नियम या नाम को ही रद्द करे? केवल याहुवे को ही पता है क्या उचित या अनुचित है ईसाई कलिशिया के लिए।
New American Standard Bible के संपादक – मंडल ने साफ तौर से स्वीकार किया है की:
यह नाम (याहुवे) येहूदियों ने उच्चारण नहीं किया है….इसलिए, उस नाम को हर बार LORD (स्वामी) में अनुवाद किया गया है। परंतु येहूदी किस नाम का उच्चारण करते है या नहीं उससे याहुवे के प्रेरित वचन पर फर्क नहीं पड़ता और न ही पड़ना चाहिए।
Smith और Goodspeed अनुवाद शायद सबसे स्पष्ट है; वे कहते है:
“इस अनुवाद में हमने रूढ़िवादी येहूदी परंपरा को अपनाया है और “याहुवे” नाम को “the LORD” में बदल दिया है और “the Lord YAHUVEH” को “the Lord GOD” में बदल दिया है।
मत्ती 15:3 की रोशनी में जो कार्य अंग्रेज़ी अनुवादकों ने किया उसके लिए कोई तर्क या बहाना नहीं है (और न ही उसके लिए कोई छमा है):
उन्होंने (याहुशुआ हामशीहाख़ ने) उनको उत्तर दिया, “तुम भी अपनी परम्पराओं के कारण क्यों याहुवे की आज्ञा का उल्लंघन करते हो?” (मत्ती 15:3)
मसीहा का नाम
सात कारण क्यों आपको अंग्रेज़ी नाम जीसस (या हिन्दी में येशुआ) को छोड़कर हमारे मसीहा के हिब्रू नाम याहुशुआ का प्रयोग करना चाहिए:
एक स्मारक नाम
परमेश्वर ने “याहुवे” या उसका छोटा रूप “याह” को हर पीड़ी के लिए अपना स्मारक नाम चुना – निर्गमन 3:15। केवल याहुशुआ नाम ही उस स्मारक नाम का स्मरण दिलाता है।
वह नाम जो सबसे ऊंचा है
पुत्र का नाम हर नाम से ऊंचा है – इफ़िसियों 1:20-21; फिलिप्पियों 2:9। पर कौन सा विशिष्ट नाम है जो सब नामों से ऊपर है?
…“खड़े हो और अपने परमेश्वर याहुवे को अनादिकाल से अनंतकाल तक धन्य कहो। आपका महिमायुक्त नाम धन्य कहा जाए, जो सब धन्यवाद और स्तुति से परे है। आप ही अकेले याहुवे हैं… (नहेम्याह 9:5-6)।
क्योंकि हर नाम से ऊंचा नाम याहुवे है, तो केवल याहुशुआ ही हमारे मसीहा का नाम हो सकता है।
सबसे उत्तम नाम
पुत्र ने विरासत में एक उत्तम नाम पाया – इब्रानीयों 1:4। उन्होंने विरासत में किससे यह नाम पाया? बेशक अपने पिता से। फलस्वरूप, वे अपने पिता से वही विरासत में पा सकते थे जो पिता के पास पहले से है। उनके पिता का नाम “जीसस” था या “याह” था? इसका जवाब स्पष्ट है अगर हम इस बात पर ध्यान दें की परम पिता परमेश्वर को पुराने नियम (भजन संहिता 68:4 आदि) में “याह” नाम से 49 बार संबोधित किया गया है, और यह नाम केवल हिब्रू नाम याहुशुआ में मिलता है।
याहुवे के नाम में आने वाला पुत्र
हमारे मसीहा ने प्रत्यक्ष रूप में हमें पिता का नाम बताया जब वे इस धरती पर थे – यूहन्ना 17:6, 26। नए नियम के केवल तीन पंक्तियों में ही हम देखते हैं जहां पुत्र खुद का परिचय देता है। पहली बार हमें उसका जिक्र प्रेरितों के कामों 9 में मिलता है जब प्रेरित पौलुस परिवर्तित होता है। दूसरा और तीसरा जिक्र फिर प्रेरितों 22 और 26 में मिलता है जब पौलुस प्रेरितों 9 के घटनाओं का ब्योरा देता है। इसी ब्योरा में हमें यह पता चलता है की हमारे मसीहा ने किस भाषा में पौलुस को अपना नाम प्रकट किया:
… मैंने (पौलुस) एक स्वर सुना जो मुझसे बात कर रहा था, और हीब्रू में कह रहा था…और मैंने (पौलुस ने) कहा, आप कौन है प्रभु? और उन्होंने कहा, मैं याहुशुआ हूँ… (प्रेरितों के कामों 26:14-15)। अगर मसीहा ने उस समय अँग्रेजी नाम जीसस (Jesus) का प्रयोग किया होता तो वे पिता का नाम प्रकट नहीं कर पाते।
क्योंकि पारिवारिक नाम याह (YAH) है, जो पिता और पुत्र दोनों के व्यक्तिगत नाम में पाया जाता है, याहुशुआ कह सके की:
“मैं अपने पिता के नाम में आया हूँ…” (यूहन्ना 5:43)
यूहन्ना 12:12-13 में येरूसलेम के कुछ निवासियों ने चिल्लाकर कहा:
होसन्ना (Hosanna): धन्य है वह इस्राइल का राजा जो प्रभु के नामे में आए हैं।
नीचे भजन संहिता 118:26 से एक पंक्ति ली गयी है जहां हिब्रू के चार अक्षर YHWH को “the LORD” अर्थात स्वामी के अप्रेरित शब्द में अनुवाद कर दिया गया है। असल में इस्राइली लोग पुराने नियम के इस भविष्यवाणी के पूर्ण होने पर उस मसीहा की घोषणा कर रहे थे जो याहुवे के नाम पे आया है। एक बार फिर, हमारे मसीहा याहुवे के नाम पे तभी आ सकते थे जब उनका नाम याहुशुआ हो।
पुत्र के नाम का मतलब यह होना था की “याहुवे उद्धार करते है”। जब मरियम के गर्भ में याहुवे के पुत्र थे, तब युसुफ को कहा गया था की वह अनेवाले बच्चे को ऐसा नाम दे जिसका मतलब होगा:
“वे [याहुवे] अपने लोगों का उद्धार करेंगे”। (मत्ती 1:21)
अंग्रेज़ी Jesus नाम उस निर्देश को पूरा नहीं करता है क्योंकि वह नाम (Jesus) लैटिन और ग्रीक नाम का मिश्रण है जिसका कोई मतलब नहीं। परंतु याहुशुआ नाम का मतलब बिलकुल वही है जो मत्ती 1:21 मे लिखा गया है। याहुशुआ नाम Strong’s Concordance में #3091 है जो #3068 (याहुवे) से और #3467 (याशा) से आया है, जिसका मतलब है बचाना अथवा उद्धार करना। कुल मिलकर याहुवे और याशा से याहुशुआ आता है, जिसका मतलब है याहुवे उद्धार करते हैं।
नए नियम के अंतर्गत बपतिस्मा पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नामों से किया जाना था (मत्ती 28:19)। प्रेरितों के कामों के पुस्तक में हमें जो प्रमाण मिले हैं उससे लगता है की शिष्यों ने उस विधि को नहीं अपनाया। बल्कि उन्होंने केवल एक ही नाम का प्रयोग किया (प्रेरितों 2:38, आदि); वह नाम जो तीनों का प्रतिनिधित्व करता था। कौन सा नाम है जो वह महान उद्देश्य (Great Commission) के शर्तों को पूर्ण करता है? हमारे पास पिता के नाम को लेकर कितने विकल्प हैं?
यूनानी और अंग्रेज़ी भाषा में पिता के बराबर का कोई नाम नहीं है। स्वामी (LORD) और परमेश्वर (GOD) नाम नहीं है; वे केवल उपाधि हैं और जेहोवा (Jehovah) 16वी सदी का एक मिश्रित और खंडित नाम है। दूसरी ओर यह जाहीर है की परमेश्वर का व्यक्तिगत नाम याहुवे है – जिसका छोटा रूप “याह” पुराने नियम के पुस्तक में 49 बार लिखा गया है।
तो फिर हमारे पास पुत्र के नाम का क्या विकल्प है? अगर हम सब विकल्पों को देखें — जैसे लेसूस (lesous) यूनानी में, जीसस (Jesus) अंग्रेज़ी में और याहुशुआ येहूदी में – तो इन तीनों में से कौन सा नाम हम पिता परमेश्वर और पवित्र आत्मा के लिए भी प्रयोग कर सकते है? केवल मात्र याहुशुआ!
प्रेरित पौलुस (Apostle Paul) ने योएल 2:32 (सही अनुवाद) से कहा था:
…जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा। (रोमियों 10:13)
याहुवे के नाम को हम कैसे पुकार सकते है? नए नियम में केवल एक स्थान पर इस का जवाब मिलता है:
[अननियस पौलुस को कहते हुये] अब क्यों देर करता है? उठ, बपतिस्मा ले, और उनका नाम लेकर अपने पापों को धो डाल। (प्रेरितों 22:16)
उसके केवल तीन दिन पहले, मसीहा ने प्रेरित पौलुस को अपना नाम येहूदी में याहुशुआ प्रकट किया था। तो फिर किस नाम से पौलुस ने बपतिस्मा लिया या उसने योएल 2:32 और प्रेरितों 22:16 का पालन करते हुये किसे पुकारा? वही नाम जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा का नाम है! वह पवित्र नाम है याहुशुआ!
याहुशुआ का देवत्व
अंत में, पर सबसे आवश्यक, हमे हमारे मसीहा के नाम का येहूदी (हिब्रू) उच्चारण का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि याहुशुआ का देवत्व उससे प्रमाणित होता है। अगर येहूदी नामों को पवित्र शास्त्रों में सुरक्षित रखा गया होता तो, भले ही नामुमकिन न होता, पर किसी को याहुशुआ हमारे मसीहा के देवत्व को ठुकराना बहुत कठिन होता।
पुराने नियम के उन भविष्यवाणियों पर ध्यान दें जो याहुवे के लिए थी पर याहुशुआ पर लागू हुई। उदाहरण के तौर पर, जॉन द बैपटिस्ट (John The Baptist) को किसके लिए मार्ग को तैयार करना था? कौन चाँदी के 30 अशर्फ़ियों के कारण विश्वासघात का शिकार होने वाला था? किसके शरीर के एक पक्ष को भाले से घोंपा जाना था? कौन था वह पत्थर जो निर्माण करने वालों ने तिरस्कृत किया था और कौन मुख्य आधारशिला बननेवाला था? अगर आप इन सवालों का जवाब “Jesus” है कह रहे है तो बेहतर होगा आप उन भविष्यवाणियों को दोबारा पड़ें। उन पंक्तियों में याहुवे को हटाकर “the LORD” अथवा स्वामी लिखा गया। परमेश्वर के व्यक्तिगत नाम, याहुवे को पुनःस्थापित कीजिये और यह स्पष्ट हो जाता है की वह भविष्यवाणियां याहुवे के बारे में थीं जो याहुशुआ में पूर्ण हुयी।
केवल यह नहीं, लेकिन जब हम मसीहा के येहूदी नाम का प्रयोग करते हैं तो हम स्पष्ट रूप से यह वर्णन करते हैं – यह नहीं की एक मनुष्य क्या कर रहा है या एक नबी क्या कर रहा है या एक देवता क्या कर रहा है। बल्कि यह वर्णन होता है की देवों के देव, परम परमेश्वर, महान “मैं”, याहुवे क्या कर रहे हैं! हमारे मसीहा का नाम हिब्रू में याहुशुआ इसलिए रखा गया क्योंकि उसका मतलब है, याहुवे उद्धार करते हैं। इसके अलावा हमारे मसीहा का नाम हिब्रू में इम्मानुएल (Immanuel) रखा गया, जिसका मतलब है याहुवे हमारे साथ हैं, और इस नाम का अर्थ भी लगभग समान है।
यह सात कारण और और भी कारणों से प्रमाणित होता है की हमें याहुवे और याहुशुआ के येहूदी नामों का ही प्रयोग करना चाहिए।